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काली कवचंॐ



काली कवचंॐ ह्रीं श्रीं क्लीं कालिकायै स्वाहा मे पातु मस्तकम् ।क्लीं कपालं सदा पातु ह्रीं ह्रीं ह्रीं इति लोचने ।ॐ ह्रीं त्रिलोचने स्वाहा नासिकां मे सदाऽवतु ।क्लीं कालिके रक्ष रक्ष स्वाहा दंष्ट्रं सदाऽवतु ।क्लीं भद्रकालिके स्वाहा पातु मे अधरयुग्मकम् ।ॐ ह्रीं ह्रीं क्लीं कालिकायै स्वाहा कण्ठं सदाऽवतु ।ॐ ह्रीं कालिकायै स्वाहा कर्णयुग्मकं सदाऽवतु ।ॐ क्रीं क्रीं क्लीं काल्यै स्वाहा दंतं पातु माम् सदा मम् ।ॐ क्रीं भद्रकाल्यै स्वाहा मम वक्षः सदाऽवतु ।ॐ क्रीं कालिकायै स्वाहा मम नाभिं सदाऽवतु ।ॐ ह्रीं कालिकायै स्वाहा मम पृष्ठं सदाऽवतु ।रक्तबीजविनाशिन्यै स्वाहा हस्तौ सदाऽवतु ।ॐ ह्रीं क्लीं मुण्डमालिन्यै स्वाहा पादौ सदाऽवतु ।ॐ ह्रीं चामुण्डायै स्वाहा सर्वांगं मे सदाऽवतु ।

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