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"Om Aim Hreem Shreem Kleem Spreem Hum Pratyangiraayee Mam Shatrum Sfaray Sfaray Maray Maray Hum Phaat Svaha".


दिशा - पूर्व या उत्तर के तरफ आपका मुख होना चाहिए।

दिन-कोई भी सिद्ध योग या पूर्णिमा से साधना की शुरुआत करें ये बाते आपको कोई भी योग पंडित बता देगा,अगर ना मिले तो हमे संपर्क करें।


कपड़ा - केवल लाल या गुलाबी ही होनी चाहिए।


माला - संस्कारित स्फटिक कि माला चाहिए जो हम आपको प्रदान कर देंगे।


कवच - कामवेगा ताबीज जो हम आपको प्रदान कर देंगे।


मिस्ठान - केसर मिश्रित खीर या मेवा का मिस्ठान या बादाम का हलवा या कमलगट्टे का हलवा।

इन मे कोई भी एक का प्रयोग करना हैं,प्रतिदिन जब तक साधना चल रही हैं।


दिया - अगर घी की हो तो दाये तरफ(right side),अगर तेल की हो तो बाये(left side) होनी चाहिए,वो दीया का मुख आपके तरफ होना चाहिए,अगर किसी कारण वश दिया बूत जाए तो फिर से दिप जला दें कामवेगा अप्सरा का मंत्र का उच्चारण करते हुए और फिर मंत्र  जाप शुरू करे दे माला से।


मदिरा - मदिरा आपको प्रतिदिन एक छोटे से पात्र में उस बाजोट के दाये तरफ ( right side ) पर रखनी है, थोड़ा सा |

और हर अगले दिन आपको थोड़ा थोड़ा समर्पित मिस्ठान और मदिरा का सेवन करना है प्रसाद के रूप में और बाकी बचा हुआ किसी निर्जल स्थान या किसी नदी, तालाब पर रख कर आ जाना है।


पुष्प - 2 लाल गुलाब का पूल प्रतिदिन ।


इत्र - गुलाब या हीना का ही होना चाहिए।


और आप चाहे तो साथ में अगरबत्ती भी लगा सकते है गुलाब या हीना सुगंध वाला।


साधना  अगर आप 21 दिन का करते है तो हर रोज़ आपको 51 माला मंत्र जप करना है या फिर आप 31 दिन की साधना करते हैं तो हर रोज़ आपको 33 माला मंत्र जप करना है।


मंत्र - कलीम कलीम कामवेगा कामेच्छी अप्सरा आगच्छ आगच्छ स्वाहा।


विशेष बात :-


अगर आप लाल रंग का वस्त्र धारण करते है तो आसन भी लाल ही होना चाहिए साथ ही बाजोट पर बिछा वस्त्र भी लाल होना चाहिए या  गुलाबी रंग का वस्त्र धारण करते हैं तो आसन भी गुलाबी  ही होना चाहिए साथ ही बाजोट पर बिछा वस्त्र भी गुलाबी होना चाहिए।


इस साधना को कोई भी पुरुष कर सकता है,जो विवाहित हो या न हो,ये केवल आपके साथ शारारिक संबंध बनाने के लिए हैं। ये आपको केवल शारारिक संतुष्ट करेगी।


माता - बहने इस साधना को न करें क्योंकि इससे आप का सांसारिक तौर पर संतुलन बिगड़ सकता हैं।


साधना काल में आपको पूर्ण रूप से आपको ब्रह्चार्य का पालन करना है मानसिक और शारारिक तौर पर साथ ही साथ तामसिक भोजन नही करना है।


आप जब तालाब या नदी या निर्जन स्थान पर मिस्ठान और मदिरा रखते समय आपको कामवेगा अप्सरा का आवाहन करना है और बोलना है की किरपा कर इसे ग्रहण करें, ये कार्य आपको प्रतिदिन करनी है,और वापस पीछे मुड़ कर नही देखना हैं।


प्रतिदिन साधना के बाद छमा याचना करना है और बोलना है की किरपा कर आप मुझ से सिद्ध हो।


साधना विधान:-


सबसे पहले साधना की जगह को साफ़ कर ले सुबह ही में और सभी चीजों का प्रबंध कर ले और साधना के दौरान सभी चीजों को अपने साथ ही रखें।


साधना आपको रात को 10 बजे से शुरु करें लेकिन12 बजे से पहले, सबसे पहले नित् कर्मों से पूर्ण हो जाए, फिर नाहा ले पर नाहने से पहले कुछ मात्रा में इत्र गुलाब का उस पानी में मिला लें और 5min रुक के नहाये, फिर सीधे साधना के रूम में आजाए और सुंदर वस्त्र धारण करें और फिर आसन में बैठ जाये और बगलामुकि कवच धारण कर ले, दीपक जला लें,फिर गणेश मंत्र का उच्चरण करे 18 बार,


मंत्र - गंग गंग विकट गणेशाय नमः फिर उसके बाद अगर आपके गुरु है तो उनका ध्यान कर एक माला गुरु मंत्र जाप कर ले अगर ना हो तो इस्ट का धयान कर मंत्र जाप कर ले एक माला।


एक आम का बाजोट या चौकी ले उस पर लाल या गुलाबी रंग का वस्त्र बिछा ले और उस पर एक नया स्टील की पात् ले कर उसे पूरा गुलाब की पुष्प से ढक दे, साथ ही साथ स्फटिक की माला और कामवेगा ताबीज उस स्टील के पात्र पर रख दें,और मन में उनका धयान करें और पूर्ण रूप से पर्तयशक होने का निवेदन करें,


मंत्र जाप के बाद 5 से 10 min तक उसी तरह बैठे रहे और उनका धयान करें।


अगर मंत्र जाप के दौरान वायु दूषित हो जाये तो माला जाप रोक कर कपूर और लौंग जला ले और फिर मंत्र जाप शुरू कर दे और अगर मंत्र जाप के दौरान toilet लग जाये तो जाकर  कर ले और फिर से नाहा कर स्वछ वस्त्र धारण कर मंत्र जाप आगे शुरू करें। सोने का कही भी सो सकते है जहाँ आप चाहते है भूमि पर या बेड पर वो स्वच्छ होना चाहिए। अगर आपको आभास होने लगे कि वो आगयी है तो साधना में आखरी दिन 2 गुलाब पुष्पों की माला अपने साथ रख ले,ताकि वो एक माला आपको पहना दे और दूसरी माला आप उनको पहना दे और वचने लेले।


इसमें हवन की अवसक्ता नही होती है।


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The correct lyrics of this mantra is "Om Aim Hreem Shreem Kleem Spreem Hum Pratyangiraayee Mam Shatrum Sfaray Sfaray Maray Maray Hum Phaat Svaha".


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