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नवार्ण मंत्र

नवार्ण मंत्र
नवार्ण मंत्र || ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे ||
नौ अक्षर वाले इस अद्भुत नवार्ण मंत्र में देवी दुर्गा की नौ शक्तियां समायी हुई है | नवार्ण मंत्र की साधना धन-धान्य, सुख-समृद्धि आदि सहित सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करती है। अनुष्ठान यदि बिना विशेष कामना के भी किया जाय तो मां दुर्गा साधक को सभी सुख स्वत: प्रदान कर देती हैं। यदि इसकी मौन एवं दीर्घकालिक साधना की जाय तो वाक्सिद्धि प्राप्त होती है। 

ऐं = सरस्वती का बीज मन्त्र है ।
ह्रीं = महालक्ष्मी का बीज मन्त्र है ।
क्लीं = महाकाली का बीज मन्त्र है ।

1) नवार्ण मंत्र के प्रथम बीज ” ऐं “ से माता दुर्गा की प्रथम शक्ति माता शैलपुत्री की उपासना की जाती है

2) नवार्ण मंत्र के द्वितीय बीज ” ह्रीं “ से माता दुर्गा की द्वितीय शक्ति माता ब्रह्मचारिणीकी उपासना की जाती है

3) नवार्ण मंत्र के तृतीय बीज ” क्लीं “ से माता दुर्गा की तृतीय शक्ति माता चंद्रघंटा की उपासना की जाती है

4) नवार्ण मंत्र के चतुर्थ बीज ” चां “ से माता दुर्गा की चतुर्थ शक्ति माता कुष्मांडा की उपासना की जाती है

5) नवार्ण मंत्र के पंचम बीज ” मुं “ से माता दुर्गा की पंचम शक्ति माँ स्कंदमाता की उपासना की जाती है

6) नवार्ण मंत्र के षष्ठ बीज ” डां “ से माता दुर्गा की षष्ठ शक्ति माता कात्यायनी की उपासना की जाती है

7) नवार्ण मंत्र के सप्तम बीज ” यैं “ से माता दुर्गा की सप्तम शक्ति माता कालरात्रि कीउपासना की जाती है

8) नवार्ण मंत्र के अष्टम बीज ” विं “ से माता दुर्गा की अष्टम शक्ति माता महागौरी की उपासना की जाती है

9) नवार्ण मंत्र के नवम बीज ” चें “ से माता दुर्गा की नवम शक्ति माता सिद्धीदात्री की उपासना की जाती है

ghora haasvatkare devi kalikaavai namostute


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